May 14, 2023
पंजाबियों के श्रमदान की देन है भव्य श्री रघुनाथ मंदिर
-भव्य भगवान श्रीराम का दरबार है अनूठा, जारी रहते हैं आस्था के अटूट अनुष्ठान
फतेहाबाद: श्री रघुनाथ मंदिर, पाकिस्तान से विस्थापितों की श्रमदान (कारसेवा) की भव्य देन है। जी हां, यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास समेटे हैं, शायद ही कोई दूसरा इस प्रकार का फतेहाबाद या आसपास के इलाके में ऐसा मंदिर हो। सन् 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान से विस्थापित हुए परिवारों के पाकिस्तान से फतेहाबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में आकर बसे सिंधियों के लिए रोजी-रोटी की नई समस्या थी तो उन्होंने इस समस्या पर बेहद जल्द ही पार पा ली और उन्होंने अपने चिर-परिचित मेहनती अंदाज में भीमा बस्ती में पूजा स्थल की स्थापना कर डाली, जो आज का भव्य श्री रघुनाथ मंंदिर है। 1955 में यह पूजा स्थल इस क्षेत्र में बसे पंजाबियों के लिए सत्संग करने का एक स्थान मात्र था लेकिन उस समय भक्त करम चंद जैसे सज्जन ने अपने साथियों और पूरे पंजाबी समाज के सहयोग से इस पूजा स्थल को श्रीरघुनाथ मंदिर की परिकल्पना में ढाला और इसे मूर्त रूप देना शुरू किया। 1960 सन् के आते-आते पंजाबियों ने एक कमेटी का गठन कर मंदिर का निर्माण करवाने की ठानी। इस मुहिम में गठित कमेटी में मैहता गुलाब राय बतरा को प्रधान नियुक्त किया गया तभा भक्त करम चंद को सचिव व चानन दास आहूजा को कोषाध्यक्ष। मंदिर के लिए पर्याप्त निर्माण सामग्री एकत्रित होने के बाद मजदूरी तथा समय देने की बात आई तो इस कमेटी ने पंजाबियों से आह्वान किया और इस आह्वान पर दर्जनों लोगों ने श्रमदान के लिए अपना नाम लिखवा मंदिर निर्माण में सहयोग शुरू कर दिया। सन् 1960 में निर्माण पूरा होने के बाद 1, 2 व 3 दिसम्बर को स्थापना दिवस के रूप में मनाया गया तथा इस मौके पर स्वामी गोविन्दानंद जी व स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने भव्य रामदरबार की अपने कर-कमलों से मूर्ती स्थापना करवाई। इसके बाद से ब्रह्मलीन स्वामी गीतानंद जी महाराज की अध्यक्षता में मंदिर का वार्षिक उत्सव मनाए जाते रहे हैं तथा उनके बाद स्वामी डा. दिव्यानंद जी 'भिक्षुÓ की अध्यक्षता में मनाया जा रहा है। मंदिर निर्माण के दौरान महिला भक्त माता सोभीबाई का त्याग और दान की भावना के कारण आज मंदिर में दुर्गा हाल स्थापित है। यह माता सोभीबाई द्वारा दी गई दान की भूमि पर बनाया गया। उल्लेखनीय है कि माता सोभीबाई ने अपना पूरा जीवन मंदिर की सेवा में ही गुजार दिया। स्व. पंडित जमनादास जी ने प्रथम पुजारी के रूप में श्री रघुनाथ मंदिर में मंदिर में सेवा करनी शुरू की और सन् 1991 तक उन्होंने सादगी और संजीदगी के साथ अपने देहावसान तक पूजा-पाठ किया। पंडित जी के बारे में दिलचस्प बात है कि वे विभाजन से पूर्व सिंध क्षेत्र के मंदिर में पूजा-पाठ करते थे और विभाजन के बाद वे अपने पैतृक गांव राजस्थान चले गए। बाद में मंदिर निर्माण होने पर पुजारी की नियुक्ति की बात आई तो पाकिस्तान से आए विस्थापितों ने यह काम पंडित स्व. जमनालाल को ही देने की जिद करने लगे और इसी जिद के चलते उन्हें राजस्थान के जिला सवाईमाधोपुर के गांव पीपल्दा से लाया गया। आज उन्हीं की सज्जनता व संतोषी प्रवृति के कारण फतेहाबाद के निवासी उन्हें याद करते हैं और बकायदा मंदिर में उनकी एक मूर्ती स्थापना की गई। स्व. पंडित जमनादास जी पुजारी के नाती पंडित राकेश शर्मा ने उनके बाद मंदिर में पुजारी का पदभार संभाला और क्षेत्र के लोग उनमें भी उनके नाना स्व. पंडित जी की छवि देखते हैं। उन दिनों क्षेत्र में पानी की बेहद किल्लत थी और मंदिर प्रबंधन कमेटी ने इस किल्लत को मंदिर के माध्यम से दूर करने की ठानी। यहां पानी की व्यवस्था के लिए कुआं खुदवाया गया और टैंक बनाकर पूरे क्षेत्र में जलापूर्ती की जानी लगी। वर्ष 2010 तक मंदिर में पानी भरने की व्यवस्था की जाती रही। श्री रघुनाथ मंदिर की प्रबंधन कमेटी के प्रधान रहे मैहता हंसराज झण्डई, रामचंद्र मिढा तथा मैहता खिलंदाराम ने अपने कार्यकाल के दौरान मंदिर को भव्यता प्रदान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। मंदिर कमेटी के वर्तमान प्रधान टेकचंद मिढा के अनुसार पिछली कमेटियों द्वारा किए गए कार्य आज मंदिर कमेटी के पास दो धर्मशालाएं, स्कूल, दुकानें आदि हैं, जिनसे होने वाली आय मंदिर के विकास पर लगाई जाती है। हर वर्ष 1, 2, 3 दिसंबर को मंदिर का वार्षिक उत्सव तथा कार्तिक माह में होने वाला श्री रामचरितमानस का मासपरायण आकर्षण का केंद्र रहते हैं। मंदिर में बनी यज्ञशाला में हर वीरवार को हवन किया जाता है। विशेष त्यौहारों के मौकों पर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन लगातार जारी रहता है।
क्षेत्र के पंजाबियों ने यूं तो धार्मिक क्षेत्र में बेहद उत्कृष्ट कार्य किए हैं, लेकिन जो बात श्री रघुनाथ मंदिर के निर्माण में रही, वह अलग ही है। इस मंदिर से क्षेत्र की आम जन की भावनाएं गहराई से जुड़ी हुई हैं। आज भी श्री रघुनाथ मंदिर होने वाले धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, वह देखने वाली होती है। प्रधान टेकचंद मिढा ने बताया कि मंदिर कमेटी जरूरतमंद लोगों के लिए हरसंभव तैयार रहती है तथा निर्धन परिवारों की कन्याओं की शादियों में भी उत्कृष्ट सहयोग दे रही है।