June 04, 2023
नागपुर - इतिहास के झरोखे से
नागपुर की स्थापना लगभग 317 साल पूर्व यानी 1702 में गोंड राजा बख्त बुलंद शाह प्रथम ने की थी। औरंगजेब से मिलने के बाद बख्त बुलंद शाह देवगढ़ से यहां आए। यहां के 12 गांवों को मिलाकर नागपुर नगरी की स्थापना की। इन 12 गांवों मे राजापुर, रायपुर, हिवरी, हरिपुर, वानडे, सक्करदरा, आकरी, लेडरा, फुटाला, गाडगे, भानखेडा, सीताबर्डी शामिल थे।
समय के साथ इनमें से कुछ नाम बदल गए है। उन्होंने गांवों को मुख्य मागों से जोडा। आवश्यकता के अनुसार बाजार बनवाए। इस तरह नागपुर का धीरे-धीरे विकास होता रहा।
औरंगजेब ने की थी मदद -
अभ्यासकों के अनुसार इसके पीछे राजा साहब की मजबूरी थी। वे अपना राज-पाट छोड़ कर यहां आए थे। देवगढ़ के तत्कालीन राजा कोकशाह की मुत्यु के पश्चात राजा बख्त बुलंद शाह गद्दी पर बैठे। यह बात राज परिवार के कुछ सदस्यो को खली। उन्होंने बख्त बुलंद को खत्म करने की योजना बनायी। इसकी भनक लगते ही बख्त बुलंद देवगढ़ से पलायन कर औरंगजेब के पास मदद मांगने गए। औरंगजेब ने उन्हें मदद का आश्वासन तो दिया
लेकिन उन्होंने भी एक शर्त रखी कि व्यवसायिका व्यवहार रहेगा। औरंगजेब ने उसकी शर्त मानकर उनकी मदद की।
देवगढ़ से प्तहिंदी का आगमन-
जिन दिनों राज परिवार का साम्राज्य था, तब गोंड राजा के अपने सिक्के हुआ करते थे। आज वंशजो के पास एक भी सिक्का नहीं है। नागपुर में हिंदी भाषा लाने का श्रेय भी राजा बख्त बुलंद शाह को ही जाता है। शहर की स्थापना के बाद उन्होंने जो सिक्के बनाए, वे हिंदी में थे। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि नागपुर में हिंदी भाषा का आगमन देवगढ़ से ही हुआ है।
बख्त बुलंद की मुत्यु-
सन 1709 के आसपास राजा बख्त बुलंद शाह की मुत्यु हो गई।मुत्यु की निश्चित तारीख को लेकर इतिहासकारों मतभेद है। बख्त बुलंद शाह के बाद राजा चांद सुल्तान ने गद्दी संभाली। चांद सुल्तान ने शहर में आवश्यकतानुसार
अनेक वस्तुओं का निर्माण कराया। उन्होंने नगर में पाच महाद्वार बनाये। वर्तमान गांधीसागर बनाम जुम्मा तालाब और महल का प्रसिद्ध गांधी द्वार उन्हीं की देन है। उस समय गांधीसागर तालाब के पानी की आपूर्ति 12 गावों (नागपुर) को की जाती थी। तालाब का 25 प्रतिशत हिस्सा ही शेष रह गया है।
गोंड राजाओं का कालखंड-
1) राजा जाटबा 1580-1620
(देवगड़ के संस्थापक)
2) राजा कोकशाह कालवधि उपलब्ध नाही
3) राजा बख्त बुलंद शाह 1686-1709
(इन्होंने 1702 मे नागपुर बसाया)
4) राजा चांद सुल्तान 1709-1735
(इन्होंने महल स्थित जुम्मा (शुक्रवारी) तालाब और गांधी गेट (जुम्मा द्वार) बनाया)
5) राजा वली शाह 1735-1738
6) राजा बुरहान शाह 1743-1796
7) राजा बहराम शाह 1796-1821
8) राजा रहमान शाह 1821-1852
9) राजा सुलेमान शाह 1852-1885
10) राजा आजम शाह 1885-1955
11) राजा बख्त बुलंद शाह दिवतीय 1955