फतेहाबाद: हरियाणा के इतिहास में आज पहली बार ऐसा हुआ है कि दशहरा पर्व पर रावण दहन से पहले ही रावण का पुतला गिर गया। फतेहाबाद के हुड्डा सैक्टर 10 में सर्व समाज हित प्रिय कमेटी की ओर से मनाए जा रहे दशहरा पर्व के मौके पर पहले तो 40 फुट के रावण के पुतले को खड़ा करने की प्रक्रिया ही शाम को सूरज ढलने के आसपास शुरू हुई। परन्तु कड़ी मशक्कत के बाद भी 'रावण महाराजÓ ने खड़ा होने से ही इंकार कर दिया और आयोजकों, रावण बनाने वाले कारीगरों के पसीने छूटने लगे।
क्रेन की मदद से उठाया जा रहा पुतला बीच में से टूटा
कोरोना काल के बाद लगभग 2 साल बाद आज दशहरा मेला देखने के लिए मेला ग्रांउड में लोगों का हुजूम उमड़ रहा था, जिनमें रावण दहन देखने की लालसा बनी हुई थी। परंतु स्थिति हास्यास्पद तब हो गई, जब क्रेन की मदद से रावण के पुतले को खड़ा कर रहे आयोजक नाकाम रहे और पुतला बीच में कमर की जगह से टूट गया और सिर पीछे की ओर झुक गई। फिर सूरज के ढलने के भी लगभग आधे घण्टे बाद जैसे-तैसे पुतले को क्रेन की मदद से आड़ा-टेढ़ा खड़ा किया गया और आतिशबाजी शुरू हुई।
लेटे हुए रावण का दहन किया विधायक ने
दूसरी ओर शोभायात्रा भी समय से काफी देर से मेला ग्रांउड में पहुंची। ऐसे में जैसे ही मुख्य अतिथि विधायक दूड़ा राम रावण दहन की तैयारी कर रहे थे तो रावण का पुतला जमीन पर गिर गया और विधायक को लेटे हुए रावण को ही अग्नि देनी पड़ी। इसके बाद लोगों का हुजूम रावण के पुतले से जलती हुई अधजली टांगों की लकडिय़ां लेने के लिए उमड़े तो पुलिस को भगदड़ रोकने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा। इस सारे वाकये से लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिली। लोगों का कहना था कि रावण महाराज इस बार नाराज हो गए कि उनके भाई और बेटे का पुतला क्यों नहीं बनाया गया। मंहगाई की मार के कारण इस बार मेघनाथ व कुम्भकर्ण के पुतले नहीं बनाए गए। कुछ लोग यह भी कहते नजर आए कि शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार रावण दहन सूर्यास्त से पहले होना चाहिए था। कुल मिलाकर आज दशहरा पर्व एक मजाक बनकर रह गया।